मुबारक हो मूर्ख दिवस लेखनी कविता -01-Apr-2023
मुबारक हो मूर्ख दिवस
सोचा एक दिन मन ने मेरे
कर ठिठोली जरा ले हँस
थोड़ी सी करके खुराफात
हम भी मना ले मूर्ख दिवस
योजना बना ली चुपके से
इंतज़ार था दिवस का बस
दाना डालूँगा मित्र को मैं
पंछी जायेगा जाल में फँस
मना बॉस को फोन कराया
होने वाला है तेरा उत्कर्ष
खुशखबरी सुन ले मुझसे तू
है तेरा कल तरक्की दिवस
पहुँचा सुबह ही मित्र के घर
देने को बधाई उसे बरबस
हाथ थमाकर उपहार बोला
मुबारक हो तरक्क़ी दिवस
आवभगत कर मुझे बिठाया
फिर लाया कोई ठंडा रस
बोला वो गर्मी दूर भगा ले
ना रख तू कोई कशमकश
तैर रहा था बर्फ का टुकड़ा
गर्मी ने किया पीने को विवश
काली मिर्च का घोल था वो
पिया समझ कर गन्ने का रस
जलती जिह्वा ने शोर मचाया
सामने से मित्र ने दिया हँस
बोला कर ली थोड़ी सी चुगली
मुबारक हो यार मूर्ख दिवस
बहुत हुआ हँसी मजाक तेरा
चल यार तू अब दिल से हँस
तरक्की की खबर सुनकर तेरी
लाया हूँ जो ले खोलकर हँस
हँसते-हँसते खोला उपहार
मुक्के पड़े उसको कस-कस
मुँह पकड़ कर बैठा फिर नीचे
हुआ नहीं जरा भी टस से मस
तरक्की दिवस तो था बहाना
बाबू हँस सके तो जोरों से हँस
दिल की अंतरिम गहराइयों से
मुबारक हो तुम्हें भी मूर्ख दिवस
- आशीष कुमार
मोहनिया, कैमूर, बिहार
Renu
03-Apr-2023 04:28 PM
👍👍🌺
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Ashish Kumar
04-Apr-2023 11:17 PM
😊😊🙏🙏
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Mahendra Bhatt
01-Apr-2023 08:45 PM
बहुत खूब
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Ashish Kumar
02-Apr-2023 08:48 AM
जी बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय 🙏🙏
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